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खुला पत्र आदरणीय प्रधानमंत्री जी के नाम !

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आदरणीय प्रधानमंत्री जी !

आपने देश को सपना दिखाया, आपके सपने पर देश झूम उठा, लगा ये कोई मसीहा आ गया है जो महँगाई, भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी एवं विकास की कोई जादुई छड़ी लेकर आया है जिससे जन के सारे कष्ट ख़त्म कर देगा ।
पर अवाम को क्या पता था कि आप पूरे मुल्क को गुजरात के अजेण्डे पर ले जाने को बेचैन हैं, गुजरात के दबे कुचले लोग, दबंग और मालदार गुजराती, पाटीदार यानी पटेल लोगों की जमात जब देश के बदहाल लोगों की जातिवाद जमात को नहीं समझती है ? यह जातियां जिनके आक्रामक दुर्गुणों से सदियों से संघर्ष कर रही हैं, जिन्होंने इनका हक़ हड़पा हुआ है आप उनके पक्षधर होकर आये हो अब यह इनको पता चल गया है।


चित्र ;डॉ लाल रत्नाकर 

दिल्ली का बुद्धिजीवी तो आपके उस स्वरूप को पहले ही समझ लिया था जिसने आपको दिल्ली के चुनाव में ही ख़ारिज कर दिया था आपके दम्भ को।

बिहार के समाज को सामाजिक समरसतावाद के मार्ग पर लाने वाले लालू ने आपकी आँख फिर खोली है। क्योंकि उन्हें भी जातीवादियों ने कुछ समय तक घेर लिया था जिसपर सजायाफ्ता लालू बना दिया है उनको ! अब शायद ही वे उनके चक्कर में आएं ?

नितीश की कमजोरियों को आपकी पार्टी के लोग बखूबी समझते होंगे जिन्होंने आपको जो फीड बैक दिया होगा उतना ही आकलन कर आप बिहार को समझने में गलती की। जितना मैं आपके विषय में जान पाया हूँ आप नेक भी हैं, इमानदार भी हैं और स्वाभिमानी निरंकुश भी, लेकिन आपकी ये ईमानदारी समाज के उस ईमानदारों से मेल खाती है जो सदियों से ईमानदारी से पक्षपाती रहे है। आपके पक्षपात का भरपूर लाभ देश की 15%आवादी को मिलने का जो रूप दिखने लगा है, वह भारत के प्रधानमंत्री का नहीं हो सकता।


आपने अनेकों लोकप्रिय कार्यक्रमों के बहाने चिटफ़ंड कम्पनियों की तरह देश के ग़रीबों की जेब साफ़ करने का उक्त योजनाएं काम कर रही हैं, जबकि बिदेशों में संचित कालान्तर से फँसा कालाधन की ख़बर तक नहीं दी है अवाम को आपने ।


संभव है आपके हितैषि शहरी वर्ग के लोग हो सकते हैं जिनके लिए स्मार्ट सिटी जैसी योजनाएं बना रहे हैं जो सदियों से देश के अधिकांश संसाधनों के मालिक हैं और होना चाहते हैं, यह काम कांग्रेस ने चुपके से  आप खुल्लम खुल्ला कर रहे हो ? येन केन प्रकारेन शहर तो देश किपुंजी का मोटा हिस्सा वैसे भी हडपे हुए है। पर गॉव को तो आप लूटने का ही प्लान लेकर आये है न । आपके मन में स्मार्ट गाँव क्यों नहीं आता ?

प्रधानमंत्री जी आपने जो मंत्री बनाये हैं ये सारे आपके दुश्मन हैं यही सब तब साबित होंगे जब आप इन्हे आज़ादी देंगे, अगर आप राष्ट्रीय हित में इनका मूल्याँकन करेंगे तो पाएंगे की किस तरह के लोग हैं, रही बात नियति की तो बिहार के चुनाव में भारत के प्रधानमंत्री को सुनते हुये ये लगा ही नहीं कि यह हमारे प्रधानमंत्री बोल रहे हैं। आख़िर लालू यादव के लोगों को भी तो लगना चाहिये था कि उनके प्रधानमंत्री उनके द्वार आये हैं।

आप जिन अपराधियों जातिवादियों के लिये वोट माँगने गये थे वे ही तो बिहार में सरकार बनते, मुख्यमंत्री और मंत्री बनते ? प्रधानमंत्री जी आपका इतनीबार जाना लोगों को रास नहीं आया, आपकी बात और थी आप को जब पीएम बनना था तब लोग आपकी सुन लिये थे।

पर आप किसकी ओर खडे हैं प्रधानमंत्री जी, यह जनता को दिखने लगा है जो इस अवाम का हक़ खाये हैं, जिन्हें जनता ने सरकार से बाहर खदेड़ दिया था उनकी फ़ौज पर आपकी आपके पिछड़ों दलितों की योजनायें कामयाब नहीं होंगी, अब देर होती जा रही है अन्यथा आपने नेता जी (मुलायम सिंह यादव) से नेह दिखाया वे आपके साथ खडे हो गये नई नई रिस्तेदारी को भी ध्यान नहीं रखा, उन पर परिवारवादी होने का आरोप भी धरा रह गया नई नवेली बहू के दोनों भाई भी तो महगठबंधन से लड़ रहे थे, तब भी वे आपके पक्ष में खडे हुये यह समाजवादी ही कर सकता है प्रधानमंत्री जी ?

बताते हैं जवाहर लाल नेहरू समाजवादियों से घबराते थे, उनकी इज़्ज़त भी करते थे, पर नेहरू जी से बड़े होने के लिये समाजवादियों को डराने की ज़रूरत नहीं है।

प्रधानमंत्री जी ! एक बात और आप हिन्दू राष्ट्र की बात सोचते हों तो उसका सबसे बड़ा नायक पिछड़ा है पर मालिक 15%\3%वाला जातिवादी वर्ग, जिसदिन उसके चंगुल से यह देश मुक्त होगा उस दिन से इसकी तरफ़ कोई नज़र उठाने की हिम्मत नहीं करेगा। लेकिन संकट ये है कि जिस धर्म से बुद्ध को हटना पड़ा, महावीर को छोड़ना पड़ा, गुरू नानक को अलग होना पड़ा, उस धर्म से दलित विचलित है, पिछड़ा त्रस्त है उनके साथ आपके पिछड़ा होने को वे कैसे सह पा रहे होंगे।

(बहुत कुछ है पर फिर........................)
*-डॉ लाल रत्नाकर 

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